Wednesday, June 24, 2009

~ एक आस ~



तिनके थे कुछ बाकी
अब दरख्त ही है खाली।
तुम हो की नही?
तुम हो ही नही....
पर तुम्हारी आस है बाकी।
ख़्वाबों की कैफ़ियत
दहशत सी खामोशी,
बंद इन कमरों में
तुम्हारी आहट है बाकी।
चिल्लाते हैं रोज़ हम
कुछ सिसकियों के भरोसे,
काश की तुम्हारे दिल में
मेरा प्यार है बाकी।

Octpowrimo - #11 - Connect

crowded queues varied views tragic news! I seek to escape... need to over-generalize. Each viewpoint - its own faded hue orange, reds and bl...