हैरान निगाहों में
तपती हुई सी आस है....
शायराना महफिल में
चुप्पी की आवाज़ है....
नम आंखों को
नींद की तलाश है....
आप से ही हम हैं
ज़ाहिर बात है!
तपती हुई सी आस है....
शायराना महफिल में
चुप्पी की आवाज़ है....
नम आंखों को
नींद की तलाश है....
आप से ही हम हैं
ज़ाहिर बात है!